Shodashi - An Overview
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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥
Every single battle that Tripura Sundari fought is a testament to her could and the protecting nature on the divine feminine. Her legends continue to inspire devotion and they are integral into the cultural and spiritual tapestry of Hinduism.
Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a way of community and spiritual solidarity amid devotees. Through these situations, the collective Vitality and devotion are palpable, as contributors have interaction in different varieties of worship and celebration.
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे
हरार्धभागनिलयामम्बामद्रिसुतां मृडाम् ।
सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।
ह्रीङ्काराम्भोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयामीश्वरीमीश्वराणां
श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
Cultural activities like folk dances, music performances, and plays also are integral, serving like a medium to impart common stories and values, Primarily for the younger generations.
देवीं कुलकलोल्लोलप्रोल्लसन्तीं शिवां पराम् ॥१०॥
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